अंतरराष्ट्रीय थिंक-टैंक लेगाटम इंस्टीट्यूट (Legatum Institute) ने अपना 12वां सालाना वैश्विक समृद्धि सूचकांक 2018 (Global prosperity index 2018) जारी किया है। धरती पर मौजूद सबसे समृद्ध (Enriched) देश की पहचान के लिए इसने अपने मानदंडों में सौ से ज्यादा बातें शामिल कीं। सबसे समृद्ध देश के रूप में नॉर्वे शीर्ष पर है। पिछले नौ साल में आठ बार उसने अपना स्थान बरकरार रखा। केवल 2016 में न्यूजीलैंड ने उसे नीचे धकेल दिया था। एशिया प्रशांत क्षेत्र के देशों में इस सूचकांक में तरक्की करने वाले देशों में भारत अव्वल है। 2013 में यह 113वें पायदान पर था। पांच साल के दौरान इसने 19 स्थानों की बढ़त हासिल की है। रिपोर्ट में इस बात की सराहना की गई है।Table of Contents
क्या है भारत की स्थिति
- 149 देशों के इस सूचकांक में भारत समग्र रूप से 94वें पायदान पर है। सूचकांक को तैयार करने के लिए अपनाए गए 100 मानकों को नौ स्तंभों के आधार पर आंका गया।
- भारत आर्थिक गुणवत्ता (Economic Quality) में – 58वें
- कारोबारी माहौल (Business Environment) में – 51वां
- प्रशासन (Governance) में – 40वां,
- निजी स्वतंत्रता (Personal Freedom) में – 99वां,
- सामाजिक पूंजी (Social Capital) में – 102वां,
- संरक्षण और सुरक्षा (Safety & Security) में – 104वां,
- शिक्षा (Education) में – 104वां,
- स्वास्थ्य (Health) में – 109वां और
- प्राकृतिक पर्यावरण (Natural Environment) में – 130वां स्थान हासिल है।
- जस देश में सेहत को ही सबसे बड़ी समृद्धि माना जाता हो, सूचकांक के मुताबिक उस क्षेत्र में भारत बहुत नीचे के पायदान पर है।
- स्वास्थ्य में पहले पायदान पर सिंगापुर हैऔर अंतिम पायदान पर सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक है। भारत यहां शीर्ष 100 स्वस्थ देशों में भी जगह नहीं बना पाया और 109वें स्थान पर है। अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश भी दस सबसे ज्यादा स्वस्थ देशों में शामिल नहीं हो सके हैं।
भारत के पड़ोसी देशों की स्थिति
- श्रीलंका (Sri Lanka) – 67
- चीन (China) – 82
- नेपाल (Nepal) – 90
- बांग्लादेश (Bangladesh) – 109
- पाकिस्तान (Pakistan) – 136
- अफगानिस्तान (Afghanistan) – 149
ब्रिक्स देशों की स्थिति
- ब्राजील (Brazil) – 65
- दक्षिण अफ्रीका (South Africa) – 68
- चीन (China) – 82
- भारत (India) – 94
- रूस (Russia) – 96
शीर्ष 10 देशों की स्थिति
- नॉर्वे (Norway)
- न्यूजीलैंड (New Zealand)
- फिनलैंड (Finland)
- स्विट्जरलैंड (Switzerland)
- डेनमार्क (Denmark)
- स्वीडन (Sweden)
- ब्रिटेन (Britain)
- कनाडा (Canada)
- नीदरलैंड (Netherlands)
- आयरलैण्ड (Ireland)
ऐसे मापी गई सेहत
- सौ मानकों में प्रति व्यक्ति जीडीपी (GDP) से लेकर कितने लोगों को पूर्णकालिक रोजगार मिला हुआ है, सुरक्षित इंटरनेट सर्वर कितने हैं, लोग खुद को कितना खुशहाल समझते हैं, जैसी तमाम बातें इसका आधार बनीं।
- सूची में शामिल देशों की स्वास्थ्य दर निर्धारित करने के लिए स्वास्थ्य सुविधाओं, जीवन प्रत्याशा दर, टीकाकरण दर, बीमारियों का स्तर, मधुमेह और मोटापे जैसे मानकों को आधार बनाया गया है।
- भारत, तजाकिस्तान और लाओस जैसे देशों में पिछले कुछ दशकों में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर हुई हैं। एशिया-प्रशांत क्षेत्र में बुनियादी स्वच्छता और स्वास्थ्य सुविधाओं तक लोगों की पहुंच भी एक बड़ा कारण है जिसके परिणामस्वरूप जीवन प्रत्याशा दर में सुधार हुआ है।
- पश्चिमी यूरोप के लोग स्वास्थ्य सेवा प्रणाली से दुनिया में सबसे ज्यादा नाखुश हैं। दुनिया में सबसे मोटे दस में से नौ लोग मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीका के देशों में हैं। ज्यादातर पश्चिमी देशों में से ऑस्ट्रेलिया पिछले 11 साल में विश्व में समृद्धि बढ़ रही है, जो एक अच्छी खबर है। दुखद यह है कि खुशहाली और बदहाली के बीच की खाई भी गहरी हुई है। इसे दूर करना बड़ी चुनौती है।